आपमे हैं अगर कोई हुनर तो आप हमको लिख भेजे। सम्पर्क सूत्र:- 6397501867 , 8922804038.
आज का हुनर हैं अनामिका सिंह अविरल की एक बेहतरीन कविता
अनामिका ~~
मर कर नहीं मरती मन से अनामिका
पल-पल नव्यतम संसार अनामिका
घनघोर अँधेरी रात में आस अनामिका
नव सुबह की श्रृंगार है अनामिका
जीवन एक शरीर जिसकी आत्मा है अनामिका
हर मन में विहार करती है अनामिका
सृष्टि का नव निर्माण करती है अनामिका !
राग को मल्हार करती है अनामिका
साँस-साँस प्रेम भरती है अनामिका
पानी का बुलबुला होती है अनामिका
जीवन का संचार करती है अनामिका
धर कर के देहं रूप मिली जब अनामिका
ख्वाबों से आज हो गया दिल का अनामिका
दिल कह रहा है दिल से आँखे बंद ना करूं
आँखों में बस गया है तेरा रूप अनामिका !
बिन दिशा बह रही थी जीवन की नाव अनामिका
अब थामना तुम जीवन की ये डोर अनामिका
बन कर मेरे सपनों की सरताज अनामिका
दिल कह रहा है तुम देना हर पल साथ अनामिका
मौजो पे बहती एक आधार अनामिका
सृष्टि की अनुपम सार अनामिका
तपस्वी भारत को अंगीकार है अनामिका
मन के सुख दुःख का उपहार है अनामिका
सच्चे प्रीत की सच्चा संसार है अनामिका
क्षण क्षण जीवन की मनुहार है अनामिका
नाम अनाम मिट जाते हैं होकर स्थूलता
अमिट है आदि अनादि अनंत दिग्दिगन्त
अनामिका।