Monday 17 October 2022

*संस्कृत भाषा भारत देश की आत्मा है- डॉ ओंकार नारायण भरद्वाज* *संवाददाता - आर.जे. सिद्दीकी*

*संस्कृत भाषा भारत देश की आत्मा है- डॉ ओंकार नारायण भरद्वाज* 

 *संवाददाता - आर.जे. सिद्दीकी* 
 *लखीमपुर खीरी।* उत्तर-प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित 20 दिवसीय संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा के बौद्धिक सत्र कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभांशु पाण्डेय और दिग्विजय पाण्डेय के द्वारा वैदिक मंगलाचरण से किया गया। अतिथियों का परिचय संस्थान की प्रशिक्षिका मीना कुमारी तथा राधा शर्मा के द्वारा तथा प्रस्तावना संयोजक समन्वयक नागेश दुबे के द्वारा किया गया। संस्थान की रूपरेखा व्यक्त करते हुए कहा कि संस्थान की स्थापना 31 दिसंबर 1976 में हुई थी। तभी से यह संस्थान संस्कृत भाषा के प्रति निरंतर प्रयासरत होकर विभिन्न माध्यमों से संस्कृत वाग्व्यवहार कार्यशाला ऑनलाइन संस्कृत भाषा शिक्षण कार्यक्रम तथा अनेक सांस्कृतिक आयोजनों के द्वारा संस्कृत भाषा के विकास में निरंतर प्रयत्नशील है । प्रत्येक माह में 3 से 4 हजार तक छात्र-छात्राएं संस्कृत भाषा को सीख रहे हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में योग प्रशिक्षण कार्यशाला का संचालन भी किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में आए हुए संस्कृत-भारती कानपुर प्रान्तमंत्री चन्द्र प्रकाश त्रिपाठी के द्वारा बताया गया कि आधुनिक समय में संस्कृत भाषा की उपादेयता पर प्रकाश डाला।इसके साथ-साथ संस्कृत भारती अवध प्रांत के पूर्व प्रान्तमंत्री डॉ ओंकार नारायण दुबे के द्वारा बताया गया कि  संस्कृत भाषा भारत की आत्मा है, यदि भारत के विषय में जानना है तो हमें संस्कृत भाषा को सीखना होगा बिना संस्कृत ज्ञान के भारत के विषय में हम नहीं जान सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि संस्कृत भाषा में ही आयुर्वेदविज्ञान, धनुर्वेद, गन्धर्ववेद, श्रीमद्भागवद्गीता इत्यादि विद्यमान है। इसके साथ ही साथ किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति संगठन में रहकर ही हो सकती हैं। अतः सभी को संगठित होकर के कार्य करना चाहिए।यथा वेद में भी कहा गया है "एकोहम् बहु स्याम्।"इस कार्यक्रम  में उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डा. वाचस्पति मिश्र, प्रशिक्षण प्रमुख सुधिष्ठ कुमार मिश्र, निदेशक विनय कुमार श्रीवास्तव, प्रशासनिक अधिकारी जगदानंद झा, संयोजक समन्वयक धीरज मैठाणी तथा चन्द्रकला शाक्य का सानिध्य पाकर संस्कृत भाषा शिक्षण कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों के द्वारा अपना अनुभव कथन, लघु कथा तथा संस्कृत गीतों को प्रस्तुत कर सभी के मन को मोह लिया गया।कार्यक्रम का संचालन संस्थान की प्रशिक्षिका मीना कुमारी और  दीनदयाल द्वारा तथा प्रशिक्षिका स्तुति गोस्वामी, राजन दुबे द्वारा शांति मंत्र और अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन प्रशिक्षिका अनीता वर्मा और प्रशिक्षक लक्ष्मीकान्त पाठक के द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्थान के प्रशिक्षक विष्णु कुमार के द्वारा संपूर्ण मीटिंग का संचालन किया गया। साथ ही साथ समस्त अधिकारी गण और भारी संख्या में प्रतिभागी  उपस्थित रहे।

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