Saturday, 8 March 2025

लेखन की खोज में प्रयागराज से सामने आई गीता शुक्ला

मेरा नाम गीता शुक्ला है मैं प्रयागराज की रहने वाली हूं मेरे पिताजी का नाम कमलाकर प्रसाद शुक्ला है जो कि सीआरपीएफ में( SI) के पद पर तैनाद है , और मैं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य के परास्नातक की छात्रा हूं

गीता शुक्ला प्रयागराज

वजूद

सूखे पत्ते ने क्या खूब कहा है,

जब तक हर थे तब तक भरे थे।

 आज टूट गए हैं, तो बिखर गए हैं, 

उस डाल का सूनापन तो देखो, 

जिससे हम गिर रहे हैं।

सदा दूसरों के हित के लिए अडिग रहे।

आज हम अपनों की वजह से जल रहे हैं।

कभी कहानी हमारी भी लिखी गई थी।

आज हालत हमारी देखो सूखे पत्तों में गिन रहे हैं।

इस धरा पर कोई भी वस्तु सदा सर्वदा के लिए नहीं होती।

कीमत और मूल्य दोनों वक्त का होता है।

इस वसुधा पर पशु पक्षी प्राणी सबका विनिष्ट होना है।

आज हमारे साथ हो रहा है,

कल आपके साथ होना है।

यही जीवन का सत्य है।

Geeta shukla 

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