Sunday, 12 June 2022

सुप्रीमकोर्ट की अहम टिप्पणी आइये जानते है क्या है अहम टिप्पणी।


ज्योति गुप्ता सदस्य MINERVA NEWS LIVE
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार यदि किसी जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया के तहत मुआवजा देकर कब्जा ले लेती है तो फिर उस जमीन पर भू स्वामी का कोई दावा नहीं रह जाता।
ऐसी जमीन पर यदि वह कब्जा करता है तो इसे अवैध माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही करार दिया है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ उत्तर प्रदेश निवासी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें 2 फरवरी को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के नोटिस को चुनौती दी गई थी। प्राधिकरण ने संबंधित व्यक्ति को जमीन के एक हिस्से से अपना अतिक्रमण हटाने के लिए कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता की जमीन का अधिग्रहण 1996 में ही हो चुका है, कब्जा लिया जा चुका है और 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक मुआवजा भी चुकाया जा चुका है। यूपी सरकार ने बताया कि राजस्व अभिलेखों में भी स्वामित्व बदला जा चुका है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता ने उस जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास संबंधित भूमि पर कब्जे का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि अधिग्रहण के बाद भूमि पूरी तरह राज्य का हिस्सा हो चुकी है। इस मामले में हस्तक्षेप से इन्कार कर हाईकोर्ट ने सही फैसला दिया है और हम हाईकोर्ट द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से पूरी तरह सहमत हैं। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

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