Wednesday 7 April 2021

पेट्रोलियम उत्पाद के बढ़ते दाम व तीनों कृषि कानूनो को वापस लेने के सम्बन्ध में दिया ज्ञापन।

पेट्रोलियम उत्पाद के बढ़ते दाम व तीनों कृषि कानूनो को वापस लेने के सम्बन्ध में दिया ज्ञापन।

बांकेगंज /लखीमपुर खीरी । सोमवार को "भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) टिकैट" के देशव्यापी एफसीआई  का घेराव के सम्बन्ध में सैकडों किसानों के साथ  जिलाध्यक्ष अमनदीप सिंह 'संधू' द्वारा  प्रधानमंत्री के नाम जिलाधिकारी लखीमपुर खीरी को दिये ज्ञापन में लिखा है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन 2020 पर संसद से लेकर सड़क तक हंगामा हो रहा है । एक तरफ सरकार का दावा है कि इन कानूनों से बिचौलिए खत्म होंगे, भंडार के क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिलेगा । दूसरी तरफ किसान इसे काला कानून बताते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य को समाप्त किए जाने की कोशिश मान रहे हैं । कृषि में खुले बाजार की व्यवस्था वर्ष 2006 से बिहार राज्य और दुनिया के सबसे साधन संपन्न देश अमेरिका में 60 सालों से लागू है । खुले बाजार की व्यवस्था का लाभ केवल कंपनियों में हुआ है । भारत सरकार व प्रधानमंत्री जी के द्वारा फसल समर्थन मूल्य व्यवस्था बनाए रखने का भरोसा दिया है, लेकिन किसान अभी भी आश्वस्त नहीं है । 
          सरकार  न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाकर  यह सुनिश्चित करें कि देश में फसलों की खरीद सरकार या व्यापारी द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं होगी ।  किसानों को सुरक्षा कवच दिए जाने के उद्देश्य से यह कानून बनाया जाना आवश्यक है ।  नया कानून किसानों के सामने पहले छोटे व्यापारियों की जगह विशालकाय बड़ी कंपनियों को खड़ा करने वाला है,  जिससे किसान बाजार के सामने और कमजोर हो जाएगा ।  खुली व्यवस्था एक बेलगाम छलांग है । अभी समर्थन केवल सरकारी खरीद पर लागू है जिससे बिचौलिए उत्पादन को समर्थन मूल्य से कम पर खरीद कर किसानों का खुला शोषण करते हैं । इसका मुख्य कारण है की न्यूनतम समर्थन मूल्य अभी कानून नहीं है बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था है ।  मौजूदा हालात में भारत सरकार और माननीय प्रधानमंत्री जी की घोषणा के अनुसार किसानों में स्थाई विश्वास बनाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून बताते हुए घोषित समर्थन मूल्य को कम पर सभी कृषि फसल विपणन को गैर कानूनी बनाया जाना आवश्यक है । जिससे पूरे देश में एक फसल-एक बाजार-एक मूल्य  की व्यवस्था लागू लागू होगी ।  
     तीनों बिलों के अध्ययन से स्पष्ट है कि भारत सरकार की मंशा है कि किसानों को खुले बाजार की व्यवस्था दी जाए । जिस तरह से भारत सरकार विश्व व्यापार संगठन के नियमों में बंधे होने के कारण सरकार कृषि सब्सिडी को धीरे- धीरे कम करके समाप्त करना चाहती है । ऐसी स्थिति में दुनिया का उदाहरण है कि किसी भी देश में किसान सब्सिडी या मूल्य सहायता के बिना खेती नहीं कर सकता है ।  इसलिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाकर बाध्यकारी किया जाना आवश्यक है ।

 तीनों कानून वापस लिए जाएं क्योंकि इनके लागू होने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली, सरकारी खरीद मंडी प्रभावित होगी ।  कालाबाजारी के कारण मंहगाई बढ़ने की संभावना है ।  बिजली बिल, डीजल, पेट्रोल,  रसोई गैस की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाई जाए जिससे  निम्न वर्गीय आदमी भी उपरोक्त वस्तुओं का प्रयोग कर सके ।  कृषि में प्रयोग होने वाले डीएपी, एनपीके, एंव यूरिया आदि उर्वरक पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर रोक लगाई जाए जिससे गरीब किसान को खेती करने में सहूलियत हो ।

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