*कर्ज के बोझ से दबे किसान ने मौत को लगाया गले*
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लखीमपुर खीरी। कहा जाता है कि भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि प्रधान तो है लेकिन भारत का किसान कभी प्रधान नहीं बन पाया। कई सरकारें आई और कई सरकारें चली गई। और सरकारों ने किसानों पर राजनीति भी बहुत की लेकिन अभी तक देश के किसान की स्थिति नहीं सुधर पाई है।
मामला उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का है जहां पर आर्थिक स्थिति से परेशान होकर किसान ने मौत को गले लगा लिया। मामला लखीमपुर खीरी के मितौली थाना क्षेत्र के गांव गाजीपुर के निवासी रामप्रसाद, पुत्र छोटेलाल उम्र 65 वर्ष शनिवार को घर से गायब हो गए थे। परिजनों ने दिनभर खूब ढूंढा जब शाम तक नहीं मिले तब परिजनों ने इसकी सुचना पुलिस में दी। पुलिस सुबह पता लगा ही रही थी तब तक परिजनों को रामप्रसाद की लाश गूलर के पेड़ से लटकती दिखाई दी। जिसकी सुचना परिजनों ने पुलिस थाना मितौली में दी। मौके पर थाना मितौली पुलिस अपने दल बल के साथ पहुंची। परिजनों का कहना था रामप्रसाद पर सरकारी बैंकों के कर्ज का बोझ था। उसी सोच में रामप्रसाद ज्यादा सोचा करते थे। उन्होंने पुलिस को बताया की इनका स्वास्थ्य भी खराब रहता था। पैसे न होने के कारण दवा भी नहीं ले पा रहे थे। मोके पर पहुंची पुलिस ने शव का पंचनामा भर कर पोस्टमॉर्टम के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया।
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