Saturday 23 January 2021

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की 125 वीं जन्म जयंती पूर्व मण्डल अध्यक्ष भाजपा डॉक्टर विजय शुक्ला जी के प्रतिष्ठान पर पराक्रम दिवस के रूप में धूमधाम से मनाई गई। मोहम्मद गुफरान रिपोर्टर मैगलगंज खीरी

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की 125 वीं जन्म जयंती पूर्व मण्डल अध्यक्ष भाजपा डॉक्टर विजय शुक्ला जी के प्रतिष्ठान पर पराक्रम दिवस के रूप में धूमधाम से मनाई गई। 

मोहम्मद गुफरान रिपोर्टर मैगलगंज खीरी

नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की 125 वीं जन्म जयंती पूर्व मण्डल अध्यक्ष भाजपा डॉक्टर विजय शुक्ला जी के प्रतिष्ठान पर पराक्रम दिवस के रूप में धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर मण्डल अध्यक्ष श्याम किशोर तिवारी पग्गु  नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि।  
23 जनवरी 1897 का दिन विश्व इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इस दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाषचंद्र बोस जी का जन्म कटक के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ जी तथा प्रभावती देवी जी के यहां हुआ।उनके पिता ने अंगरेजों के दमनचक्र के विरोध में 'रायबहादुर' की उपाधि लौटा दी। इससे सुभाष के मन में अंगरेजों के प्रति कटुता ने घर कर लिया। अब सुभाष अंगरेजों को भारत से खदेड़ने व भारत को स्वतंत्र कराने का आत्मसंकल्प ले, चल पड़े राष्ट्रकर्म की राह पर। आईसीएस ICS की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद सुभाष ने आईसीएस से इस्तीफा दिया। इस बात पर उनके पिता ने उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- 'जब तुमने देशसेवा का व्रत ले ही लिया है, तो कभी इस पथ से विचलित मत होना।
 दिसंबर 1927 में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के बाद 1938 में उन्हें कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। उन्होंने कहा था - मेरी यह कामना है कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में ही हमें स्वाधीनता की लड़ाई लड़ना है। हमारी लड़ाई केवल ब्रिटिश साम्राज्यवाद से नहीं, विश्व साम्राज्यवाद से है। धीरे-धीरे कांग्रेस से सुभाष का मोह भंग होने लगा। 16 मार्च 1939 को सुभाष जी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सुभाष ने आजादी के आंदोलन को एक नई राह देते हुए युवाओं को संगठित करने का प्रयास पूरी निष्ठा से शुरू कर दिया। इसकी शुरुआत 4 जुलाई 1943 को सिंगापुर में 'भारतीय स्वाधीनता सम्मेलन' के साथ हुई। 
 5 जुलाई 1943 को 'आजाद हिन्द फौज' का विधिवत गठन हुआ। 21 अक्टूबर 1943 को एशिया के विभिन्न देशों में रहने वाले भारतीयों का सम्मेलन कर उसमें अस्थायी स्वतंत्र भारत सरकार की स्थापना कर नेताजी ने आजादी प्राप्त करने के संकल्प को साकार किया।
 12 सितंबर 1944 को रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतीन्द्र दास के स्मृति दिवस पर नेताजी ने अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा- 'अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांगती है। आप मुझे खून दो, मैं आपको आजादी दूंगा।' यही देश के नौजवानों में प्राण फूंकने वाला वाक्य था, जो भारत ही नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है। 
 इस अवसर पर मण्डल  पूर्व मण्डल अध्यक्ष डॉक्टर रविन्द्र पाल बाजपेयी आलोक शुक्ला वेदु रामकुमार गुप्ता उपाध्यक्ष नरेंद्र मिश्रा कमलेश गुप्ता महामन्त्री राममोहन गुप्ता अतुल शुक्ला कोषाध्यक्ष अमर नाथ मिश्रा बालेश्वर सिंह युवा मोर्चा मण्डल अध्यक्ष नितिन मिश्रा मीडिया प्रभारी अंकित तिवारी गौरव गुप्ता अशोक मिश्रा आदि भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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