Thursday 12 May 2022

चंबल नदी में पानी पीने गई किशोरी को मगरमच्छ ने बनाया निवाला।


प्रिंस गुप्ता प्रदेश कोऑर्डिनेटर उत्तर प्रदेश।


उदी (इटावा)। चंबल में पानी पीने गई किशोरी को गुरुवार दोपहर को मगरमच्छ खींच ले गया। बचाने मूें पिता पर भी हमला कर दिया, पिता के हाथ में बेटी का आंगौछा ही आया। सूचना देनै के करीब पांच घंटे बाद अधिकारी पहुंचे और किशोरी की तलाश शुरू कराई।
देर शाम तक किशोरी का पता नहीं लगा था।
बढ़पुरा थाना क्षेत्र के गांव खेड़ा अजब सिंह निवासी जगतप बेटियों वंदाना और शालू (14) के साथ बकरी चराने चंबल नदी के पास गए थे। धुप होने से दोनों बच्चियों को प्यास लग आई। अजब सिंह उन्हें पानी पिलाने चंबल नदी पर ले गए। पानी पीकर लौटते समय बच्ची के पैर से कुछ टकराया। इस पर उसने पिता को बताया। जगपत कुछ समझ पाते तब तक मगरमच्छ ने शालू का पैर पकड़कर पानी में खींच लिया। बचाने में मगरमच्छ ने जगपत को भी घायल कर दिया। पिता के हाथ में बच्ची का अंगोछा आया। मगरमच्छ उसे पानी में खींच ले गया। सूचना पर एसडीएम सदर ने सेंक्चुअरी अधिकारियों को स्ट्रीमर बुलाकर बच्ची की तलाश कराने के निर्देश दिए। स्टीमर से बच्ची की तलाश की गई लेकिन शाम तक उसका पता नहीं चला।
ग्राम प्रधान गब्बर भदौरिया ने बताया कि गांव के बीच में तालाब है लेकिन लोग चंबल किनारे ही पशुओं को चराने ले जाते हैं। नदी में पशुओं को पानी भी पिलाने ले जाते हैं। सेंक्चुअरी के अधिकारियों ने नदी के आसपास चेतावनी बोर्ड भी नहीं लगाया है। इससे कई हादसे हो चुके हैं। ग्रामीण सुशीज सिंह भदौरिया ने बताया कि बच्ची को सुबह 10 बजे मगरमच्छ ले गया और शाम तीन बजे तलाश शुरू कराई गई। बच्ची के पिता ने रोते हुए कहा कि मगरमच्छ तो मेरी बेटी को मेरे हाथों से ले गया। एसडीएम सदर ने बताया कि बच्ची की तलाश कराई जा रही है। साथ ही यदि चंबल के पास के गांवों में तालाब नहीं है तो इसकी जांच कराई जाएगी और जल्द ही तालाब खुदवाए जाएंगे।
28 अप्रैल को बच्ची को खा गया था मगरमच्छ
भरेह थाना क्षेत्र में ख्याली पुरा गांव के विक्रम सिंह मल्लाह की 14 वर्षीय पुत्री मुस्कान 28 अप्रैल को जानवरों लेकर चंबल नदी में पानी पिलाने गई थी। मुस्कान को मगरमच्छ खा गया था। 20 दिन पहले की मगरमच्छों ने एक भैंस को मार दिया था।
लगवाए जाएंगे जागरूकता के लिए पोस्टर-बैनर
सेंक्चुअरी के डीएफओ दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि घटना दुखद है। अभी तक जिन जगहों पर मगरमच्छ और घड़ियाल को लेकर जागरूकता बैनर, पोस्टर नहीं लग सके हैं। उन्हें जल्द लगवाएंगे। साथ ही चंबल के आसपास के ग्रामीणों से अपील है कि 15 जून तक मगरमच्छ अपने अंडे दैते हैं ऐसे में वह आक्रमक होते हैं। तो इस समय में नदी में जाने से बचें। आगे इन घटनाओं को रोकने के लिए जल्द स्थायी व्यवस्था कराने का भी प्रयास रहेगा।

*चार धाम यात्रा में 28 तीर्थयात्रियों व 25 घोड़ों की हो चुकी मौत।*

*चार धाम यात्रा में 28 तीर्थयात्रियों व 25 घोड़ों की हो चुकी मौत।*

*लक्ष्मी गुप्ता एंकर MINERVA NEWS LIVE*

नई दिल्ली। बुजुर्ग तीर्थयात्रियों की जान पर यात्रा भारी पड़ रही है। 60 वर्ष से ऊपर आयु के 13 यात्रियों की मौतें हुई है। यही नहीं करीब 25 घोड़े और खच्चर भी दम तोड़ चुके हैं। घोड़े, खच्चरों की मौत से संचालक दहशत में हैं।
चारधाम यात्रा में रोजाना तीर्थयात्रियों की मौतें हो रही है। अब तक मृतकों की संख्या 28 हो गई है। बुजुर्ग तीर्थयात्रियों की जान पर यात्रा भारी पड़ रही है। 60 वर्ष से ऊपर आयु के 13 यात्रियों की मौतें हुई है।
स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा ने कहा कि यात्रा के दौरान जो भी मौतें हुई हैं, वह पैदल रूट पर हुईं। हार्ट अटैक व अन्य बीमारियां मौत का कारण रही हैं। किसी भी यात्री की अस्पतालों में मौत नहीं हुई है। चारधाम यात्रा मार्ग के अस्पतालों व मेडिकल कैंपों में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
रुद्रप्रयाग, चमोली व उत्तरकाशी जिलों से आई रिपोर्ट के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 13 यात्रियों की मौत हुई है जबकि 50 से 60 आयु वर्ग में सात, 40 से 50 आयु वर्ग में चार और 30 से 40 आयु के तीन तीर्थयात्रियों की मौत हुई है।
महानिदेशक ने कहा कि परिजनों की इच्छा के अनुसार पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। कई मृतकों के परिजन पोस्टमार्टम नहीं करना चाहते हैं। जिनके पोस्टमार्टम में मौत के सही कारणों का पता नहीं लग पाता है, उनका बिसरा सुरक्षित रखा जा रहा है।
इंसान ही नहीं जानवर भी गंवा रहे जान
चारधाम की दुर्गम राह इंसान ही नहीं जानवरों की जान पर भी भारी पड़ रही है। चारधाम यात्रा पर अभी तक 28 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, वहीं करीब 25 घोड़े और खच्चर भी दम तोड़ चुके हैं। घोड़े, खच्चरों की मौत से संचालक दहशत में हैं। वहीं पशु चिकित्साधिकारी क्षमता से अधिक कार्य को जानवरों की मौत का कारण बता रहे हैं।
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों के साथ ही अब घोड़े खच्चरों की मौत के मामले भी सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि पिछले 10 दिनों में पैदल मार्ग पर 10 घोड़े खच्चरों की भी मौत हुई है। स्थानीय निवासियों और घोड़ा-खच्चर संचालक इन मौतों का कारण यमुनोत्री धाम के दुर्गम वैकल्पिक मार्ग को बता रहे हैं।
नरेंद्र मोदी सेना के अध्यक्ष संदीप राणा, जानकीचट्टी नारायणपुरी के पूर्व प्रधान जगत सिंह रावत, महावीर पंवार का कहना है कि भिडियाली गाड़ से यमुनोत्री धाम तक का वैकल्पिक मार्ग मानकों के अनुरूप नहीं है। मार्ग पर जिला पंचायत की ओर से पानी आदि की व्यवस्था भी नहीं की गई है, जिससे घोड़े खच्चरों की मौत हो रही है। जिला पंचायत से घोड़े खच्चर संचालकों को मुआवजा दिए जाने की मांग भी की गई है।
वहीं, जानकीचट्टी में तैनात पशु चिकित्साधिकारी अभिनाष ने घोड़े खच्चरों की मौत का कारण क्षमता से अधिक कार्य को बताया है। उनके अनुसार क्षमता से अधिक कार्य व एकदम ठंडा पानी पीने से घोड़ों को कोलिक (पेट दर्द) बीमारी हुई है, जिससे इनकी मौत हुई है। डा. अभिनाष ने बताया कि अभी तक उन्हें तीन खच्चरों के मरने की सूचना मिली है।
उधर, 6 मई से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में इस वर्ष 8000 से अधिक घोड़ा-खच्चरों का पंजीकरण है। यात्रियों का दबाव बढ़ने के साथ गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों की मौत के मामले भी सामने आने लगे हैं। बृहस्पतिवार को गौरीकुंड में 3 और सोनप्रयाग में 1 घोड़ा-खच्चर की मौत हो गई। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. आशीष रावत ने बताया कि अभी तक 15 घोड़ा-खच्चरों की मौत हो चुकी है। उन्होंने जानवरों की मौत का कारण अत्यधिक थकान और पानी की कमी बताया। उन्होंने कहा कि संचालक घोड़ा-खच्चरों से अत्यधिक काम ले रहे हैं और खाने के लिए सूखा भूसा व चना दे रहे हैं। पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण फेफड़ों की झिल्ली पर दबाव पड़ने से जानवरों की मौत हो रही है।
मार्ग पर नहीं है गर्म पानी की सुविधा
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर घोड़ों के लिए गर्म पानी की व्यवस्था के लिए पानी की टंकियों पर हीटर लगाए गए थे, लेकिन इन हीटरों को बिजली से नहीं जोड़ा गया है। अधिकांश हीटर खराब भी हो गए हैं। यदि रास्ते में घोड़ों को गर्म पानी मिलता रहे, तो इन्हें बीमारी से बचाया जा सकता है।

बिहार के एक इलेक्ट्रीशियन को चढ़ा प्यार का बुखार महबूबा से मिलने के लिए काट देता था गांव की लाइट।

बिहार के एक इलेक्ट्रीशियन को चढ़ा प्यार का बुखार महबूबा से मिलने के लिए काट देता था गांव की लाइट।


लक्ष्मी गुप्ता एंकर MINERVA NEWS LIVE


पटना, 12 मई: प्यार के किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे, लेकिन आज हम आपको ऐसे आशिक की कहानी बताने जा रहे, जिसके चक्कर में रात-रातभर पूरा गांव परेशान रहने लगा। उन्होंने जब पूरा मजरा समझा तो उनके होश उड़ गए।

साथ ही छोटे से गांव की लव स्टोरी नेशनल न्यूज बन गई।

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के पूर्णिया जिले के गणेशपुर गांव में एक इलेक्ट्रीशियन अपनी प्रेमिका से मिलने के चक्कर में रात को लाइट काट देता था। शुरू में लोगों ने इसे सामान्य प्रक्रिया समझी, लेकिन कई दिनों तक ऐसे होने पर ग्रामीण पड़ताल में जुट गए। जिस पर पता चला कि आसपास के गांवों में लाइट तो रहती है, लेकिन उनके गांव में शाम को दो-तीन घंटे के लिए लाइट कट जाती है।

कुछ दिनों बाद गणेशपुर के ग्रामीणों को ये भी पता चला कि इलेक्ट्रीशियन इश्क लड़ाने के लिए लाइट काटता है, ऐसे में उन्होंने उसे रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई। हाल ही में जब गांव की लाइट कटी तो सभी ग्रामीण इलेक्ट्रीशियन की तलाश में जुट गए। कुछ देर बाद वो प्राइमरी स्कूल में अपनी प्रेमिका के साथ पकड़ा गया।

ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर उन्होंने उसे पकड़कर उसका मुंडन करवा दिया और फिर गांव में घुमाया। बाद में उसने स्वीकार किया कि जब वो अपनी प्रेमिका से मिलना चाहता तो वो लाइट काट देता, ताकि अंधेरे में वो रोमांस कर सके। बाद में सरपंच और ग्रामीणों की मौजूदगी में उसकी शादी उसी लड़की से करवा दी गई।

स्थानीय थाना प्रभारी विकास कुमार आजाद ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी थी लेकिन अभी तक मामले में किसी ने शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। मामले में एक ग्रामीण ने कहा कि वो बिजली कटौती से परेशान हो गए थे। गर्मी के दिनों में भी शाम को तीन-चार घंटे लाइट गायब रहती, जब से इलेक्ट्रीशियन की शादी हुई है, तब से शाम को बत्ती गुल होनी बंद हो गई।

योगी सरकार का बड़ा फैसला अब मदरसों में भी होगा राष्ट्रगान।

योगी सरकार का बड़ा फैसला अब मदरसों में भी होगा राष्ट्रगान


प्रगति बाजपई एंकर MINERVA NEWS LIVE


उत्तर प्रदेश के मदरसों में आज से राज्य की योगी सरकार का बड़ा फैसला लागू होने जा रहा है.

क्योंकि अब मदरसों में पढ़ाई शुरू होने से पहले राष्ट्रगान होगा. राज्य के सभी मान्यता प्राप्त सहायता और गैर अनुदानित मदरसों में राष्ट्रगान गाया जाएगा. असल में ईद की छुट्टियों के कारण आज से मदरसे खुल रहे हैं और आज से ही मदरसों में राष्ट्रगान गाया जाएगा. इसके लिए 24 मार्च को हुई बैठक में सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को इसे तुरंत लागू करने के लिए कहा गया था. लेकिन रमजान की छुट्टी शुरू होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के मदरसा शिक्षा परिषद की ओर से इसको लेकर निर्देश पहले ही भेजे जा चुके हैं. जिसके तहत मान्यता प्राप्त, अनुदानित प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त मदरसों में नए सत्र से राष्ट्रगान गाने का आदेश दिया गया था. फिलहाल मदरसा बोर्ड की बैठक मार्च में हुई थी और इस बैठक में अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने कई फैसले लिए थे. जिसमें मदरसों में राष्ट्रगान गाने को लेकर भी फैसला किया गया था. इसके साथ ही बैठक में मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल की परीक्षाएं 14 से 27 मई तक कराने का फैसला किया गया था.

मदरसों में ही होंगी परीक्षाएं

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में गर्मी की छुट्टी और यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन का कार्य जारी है. जिसके कारण कॉलेज खाली नहीं हैं. लिहाजा मदरसा बोर्ड ने परीक्षाओं को मदरसों में ही आयोजित कराने का फैसला किया था.

छह पेपर की होगी परीक्षा

इसके अलावा मदरसा बोर्ड में अब छह पेपर की परीक्षा होगी. इसमें कक्षा 1 से 8 के पाठ्यक्रम में दीनियात के अलावा हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के प्रश्न पत्र होंगे. पिछले दिनों हुई मदरसा बोर्ड की बैठक में इस बात का भी फैसला हुआ था कि शिक्षकों की उपस्थिति के लिए हर मदरसे में बायोमीट्रिक सिस्टम लगाया जाएगा और नए सत्र से छात्रों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी शुरू की जाएगी.

टीईटी के तर्ज होगी मदरसों में अध्यापकों की नियुक्ति

यूपी मदरसा बोर्ड ने बैठक के माध्यम से टीईटी की तर्ज पर मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति करने का फैसला किया है और इसके लिए पहले परीक्षा देनी होगी और उसमें उत्तीर्ण होने वाले को मदरसों में नियुक्ति दी जाएगी. इसके साथ ही मदरसा बोर्ड ने फैसला किया था कि मदरसों में छात्रों की संख्या कम होने पर अन्य मदरसों में शिक्षकों का समायोजन किया जाएगा.

पीलीभीत में सच्ची घटना पर बनी पंकज त्रिपाठी की नई फिल्म शेरदिल : द पीलीभीत सागा आइये जानते हैं क्या है खास इस मूवी में।

पीलीभीत में सच्ची घटना पर बनी पंकज त्रिपाठी की नई फिल्म शेरदिल : द पीलीभीत सागा आइये जानते हैं क्या है खास इस मूवी में।


प्रीति तिवारी सह संपादक MINERVA NEWS LIVE



आदमी, जंगल और जानवर तीनों की ज़मीन एक ही है और सीमित है। 
फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' की कहानी पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे गांवों में दुखद घटनाओं की वास्तविक घटना से प्रेरित है, कि कैसे परिवार को बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता होती है
बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकार अभिनेता पंकज त्रिपाठी जल्दी ही अपनी नई फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' के साथ दर्शकों का मनोरंजन करने को तैयार हैं। इस फिल्म का निर्माण टी-सीरीज और रिलायंस एंटरटेनमेंट ने मैच कट प्रोडक्शन के साथ मिलकर बनाया है। इस फिल्म के सेट से तस्वीरें भी सामने आ चुकी है और मेकर्स की तरफ से फिल्म की रिलीज का ऐलान भी कर दिया गया है।
पंकज त्रिपाठी की डार्क ह्यूमर से भरपूर यह फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निदेशक, श्रीजीत मुखर्जी द्वारा निर्देशित किया गया है। वास्तविक घटनाओं से प्रेरित इस गाथा में पंकज त्रिपाठी के अलावा नीरज काबी और सयानी गुप्ता भी अहम भूमिकाओं में हैं।
'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' फिल्म में शहरीकरण के प्रतिकूल प्रभावों, मानव-पशु संघर्ष और गरीबी के बारे में एक अंतर्दृष्टि पूर्ण कहानी सामने रखी जाएगी, जो जंगल के किनारे बसे एक गांव की लोगों के बारे में है। फिल्म की तस्वीरों में पंकज त्रिपाठी साधारण व्यक्ति की वेशभूषा में जंगलों में दिखाई दे रहे हैं। यह फिल्म श्रीजीत मुखर्जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' की कहानी पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे गांवों में दुखद घटनाओं की वास्तविक घटना से प्रेरित है, कि कैसे परिवार को बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता होती है और श्रीजीत मुखर्जी की यह फिल्म वीरता के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मनुष्य और प्रकृति के संघर्ष पर केंद्रित है। यह फिल्म 24 जून, 2022 को बड़े पर्दे पर दस्तक देगी।

ताजमहल मामले में हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

ताजमहल मामले में हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी


प्रिंस गुप्ता प्रदेश कोऑर्डिनेटर उत्तर प्रदेश

ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने याचिका कर्ता पर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि पहले PhD करें फिर कोर्ट आएं. 


Wednesday 11 May 2022

ताजमहल नहीं है कोई मकबरा 1983 मैं रुड़की विश्वविद्यालय के सर्वे में कुछ तथ्य सामने आए क्या है वे तथ्य जानते हैं।

ताजमहल नहीं है कोई मकबरा 1983 मैं रुड़की विश्वविद्यालय के सर्वे में कुछ तथ्य सामने आए क्या है वे तथ्य जानते हैं।

प्रिंस गुप्ता प्रदेश कोऑर्डिनेटर उत्तर प्रदेश

ताजमहल के तहखाने में बने 20 कमरों को खोलने की याचिका पर हाईकोर्ट में बृहस्पतिवार को सुनवाई होनी है, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और देश के नामी गिरामी संस्थानों के लिए तहखाना कई बार खुला है।
ताजमहल की मजबूती परखने के लिए समय-समय पर तहखाने में जाकर इसका सर्वे किया गया है। एएसआई ने 16 साल पहले तहखाने का संरक्षण कराया था, लेकिन इसकी मजबूती परखने के लिए नेशनल जियोग्राफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट और रुड़की विश्वविद्यालय ने वर्ष 1993 में सर्वे कराया था, जिसमें ताजमहल के तहखाने की दीवार तीन मीटर मोटी बताई गई और मुख्य गुंबद पर असली कब्रों के नीचे का हिस्सा ठोस बताया गया। रुड़की विश्वविद्यालय ने इस सर्वे में इलेक्ट्रिकल, मैग्नेटिक प्रोफाइलिंग तकनीक, शीयर वेब स्टडी और ग्रेविटी एंड जियो रडार तकनीक का उपयोग किया था।
ताजमहल पर भूकंप के प्रभाव के लिए रुड़की विश्वविद्यालय के अर्थक्वेक इंजीनियरिंग विभाग ने 1993 में सर्वे कराया। प्रोजेक्ट नंबर पी-553 ए की रिपोर्ट जुलाई 1993 में जारी की गई। भविष्य के भूकंप की स्थिति में ताजमहल को नुकसान होने की स्थिति के लिए यह सर्वे किया गया था। इसके लिए ताजमहल के तहखानों को खोला गया था, जिसमें गुंबद, मीनारों, तहखानों की दीवारों की मजबूती को जांचा गया।
13 मीटर गहरी हैं ताज और महताब बाग की नींव
नेशनल जियोग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने महताब बाग और ताजमहल का एक साथ सर्वे किया, जिसमें मेग्नेटिक प्रोफाइलिंग तकनीक के इस्तेमाल से पता चला कि ताजमहल और महताब बाग के जो हिस्से जानकारी में है, उनके अलावा नींव में कोई स्ट्रक्चर नहीं पाया गया। फाउंडेशन के कुंओं पर बोर होल ड्रिल 9.50 मीटर गहराई तक किए गए। रिफ्लेक्शन सीस्मिक जांच में ताजमहल की नींव में 90 मीटर तक सख्त चट्टानें पाई गईं।
ताजमहल और महताब बाग की नींव की गहराई नदी किनारे 13 मीटर तक पाई गई। चमेली फर्श के नीचे के कमरों पर नदी किनारे की ओर तीन मीटर तक चौड़ी दीवारें मिलीं। सर्वे में बताया गया कि मुख्य गुंबद में असली कब्रों के नीचे का हिस्सा खाली नहीं है। शीयर वेव स्टडी में यह ठोस होने की जानकारी देता है।
केवल स्टडी के लिए खोले जाएं तहखाने : केके मुहम्मद
पदमश्री से सम्मानित और आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद रहे केके मुहम्मद ने अमर उजाला से अपने अनुभव साझा किए। केरल में रह रहे केके मुहम्मद ने कहा कि ताजमहल के तहखाने हमेशा से खुले हैं, केवल पर्यटकों के लिए ये बंद हैं। एएसआई उनकी देखभाल और संरक्षण अच्छे ढंग से कर रहा है। ताजमहल विश्व धरोहर है। कोई भी विवाद इसे नुकसान पहुंचाएगा। वह कई बार तहखाने में संरक्षण कार्यों के लिए गए हैं, पर उन्होंने कोई धार्मिक प्रतीक चिह्न नहीं देखा। रामबाग और एत्माद्दौला जैसे यमुना नदी किनारे बने स्मारकों में ठीक ऐसे ही तहखाने बने हैं, जिनके ऊपर स्मारक बने हुए हैं। धार्मिक रंग देने की जगह तहखाने को केवल स्टडी के लिए खोला जाए। विशेष अनुमति लेकर रिसर्च स्कॉलर को जाने दिया जाए।
कोर्ट की निगरानी में खोलकर वीडियोग्राफी की जाए : प्रो. नदीम रिजवी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर नदीम रिजवी ने ताजमहल को धार्मिक रंग दिए जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि 300 साल तक ताजमहल के तहखाने और बाकी हिस्से खुले रहे। कई पीढ़ियों ने इसे देख लिया। कोई चिह्न यहां नहीं है। ताज के जो हिस्से बंद किए, वह धार्मिक कारणों से नहीं किये गए, बल्कि ताज में भीड़ और सुरक्षा कारणों से किए गए। स्मारक की संरक्षा और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए एएसआई ने पूरे देश में स्मारकों के कुछ हिस्सों को बंद किया। प्रो. रिजवी ने कहा कि ताज के तहखाने खोलने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन यह कोर्ट की निगरानी में खोले जाएं और वीडियोग्राफी की जाए। तहखाने खोलने के बाद यह डर है कि कहीं कोई मूर्ति न रख दे और विवाद स्थायी हो जाए।

अध्यक्ष अब्बास नकवी,महामंत्री आकाश सैनी और कोषाध्यक्ष देवरंजन मिश्रा हुए निर्वाचितचुनाव अधिकारी ने दिए प्रमाण पत्रप्रेस क्लब की हुई बैठक

अध्यक्ष अब्बास नकवी,महामंत्री आकाश सैनी और कोषाध्यक्ष देवरंजन मिश्रा हुए निर्वाचित चुनाव अधिकारी ने दिए प्रमाण पत्र प्रेस क्लब की हुई बैठक ...