जब सपनों की राह कीचड़ से भरी हो, तो कसूर किसका है?"ये तस्वीरें कोई फ़िल्म या किसी गांव का दृश्य नहीं हैं ये हमारे अपने मोहम्मदी कस्बे की सच्चाई हैं। इलाहाबाद बाद बैंक से लेकर डॉक्टर मेहराज के अस्पताल तक रोड की ऐसी हालत है की निकला मुश्किल है। हर रोज़ हमारे नन्हें बच्चे, हमारी बेटियाँ, स्कूल जाने के लिए इसी गंदगी, कीचड़ और टूटे रास्तों से होकर गुज़रती हैं। बारिश में यह रास्ता सड़क नहीं, बल्कि दलदल बन जाता है।
नंगे पाँव कीचड़ में चलते छात्र,साइकिलों को हाथों से खींचते युवा, कीचड़ में फिसलती बच्चियाँ -
क्या यही है हमारा विकास ? क्या इसी रास्ते पर चलकर बनेगा "नया भारत" ?
जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधि से सवालः
क्या आपके अपने बच्चे भी ऐसे रास्तों से स्कूल जाते हैं?
क्या चुनाव के समय ही आपको यह इलाका याद आता है? यह आवाज़ है एक बेहतर भविष्य की पूछता है