Saturday 9 April 2022

*आइये बताते है हमारे उत्तर प्रदेश के बारे में क्या है उत्तर प्रदेश में प्रभु श्री राम का महत्व* उत्कर्ष शुक्ला संस्थापक / सम्पादक

*आइये बताते है हमारे उत्तर प्रदेश के बारे में क्या है उत्तर प्रदेश में प्रभु श्री राम का महत्व

उत्कर्ष शुक्ला संस्थापक / सम्पादक 


मैं हूँ उत्तर प्रदेश l राम – मात्र दो अक्षर ......लेकिन सबके जीवन में इस शब्द के अलग अलग मायने हैं, अलग-अलग विचार हैं l भारत की भूमि पर लोग श्रीराम को महान संत तुलसी की राम चरित मानस के नायक के रूप में जानते हैं l जब से धरती पर जीवन का सृजन हुआ, तब से यहाँ राम-नाम की महिमा गायी जा रही है l  कण- कण में व्याप्त हैं राम l किसी ने उन्हें नहीं देखा, किन्तु महाराज तुलसीदास की लेखनी ने उनके आकर्षक व्यक्तित्व का जो खांका खींच दिया, उससे जनमानस में यह सन्देश चला गया कि श्याम वर्ण के राम के व्यक्तित्व का सम्मोहन ऐसा था कि जो उन्हें एक बार देख लेता था, उनका ही हो जाता था l
राम ब्रह्म विचार हैं, राम साकार हैं, राम निराकार हैं, राम स्वयं ब्रह्म हैं, राम ज्ञान हैं, राम असक्त से सशक्त की ओर जाने वाली नाज़ुक डोर हैं, राम मर्यादा हैं, राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, राम जीवन के हर क्षण के लिए पाठ हैं, राम एक विश्वास हैं, राम साधना हैं, राम अनुशासन के पक्षधर हैं, राम संसार को जीतने और उस पर नियंत्रण के नहीं, बल्कि स्वयं पर जीत और स्व नियंत्रण के हितैषी हैं l अब यह रुचिकर है कि राम तो एक ही हैं परन्तु व्यक्ति के स्वभाव व आचार-विचार के कारण राम की परिभाषा भी अलग-अलग स्थापित हो गयी है l या यूँ कहें कि भक्त जैसा चाहता है, अपने भगवान को वैसा ही रचता है l जहाँ वाल्मीकि के राम “संसारी श्रेष्ठ पुरुष, धीर पुरुष और वीर पुरुष हैं, पर हैं मानव l वहीँ तुलसी के राम तुलसी के हृदयपति हैं, तुलसी के रामप्यारे हैं, राम के संगी प्यारे हैं, राम के भक्त प्यारे हैं, तुलसी के लिए तो पूरा जगत ही राममय है, तुलसी ने संसार को जो राम दिया, वह एक नायक की भांति सर्वगुण संपन्न है और उसने पुत्र, भाई, पति और महान राजा की भूमिका के लिए श्रेष्ठतम मापदंड निर्धारित कर दिया है l तुलसी के राम कण कण में हैं
"सियाराम मय सब जग जानि,
करहु प्रणाम जोरि जुग पाणि||"
यदि तुलसी के राम शील, सौन्दर्य और शक्ति, तीनों गुणों के स्वामी हैं तो कबीर के राम दशरथ के पुत्र न होकर परमब्रह्म हैं, वह निराकार हैं, वह साधना का माध्यम हैं, राम यानि ईश्वर के सहारे ही कबीर समाज में सुधार/ज्ञान की गंगा बहाना चाहते थे l
और इन सबसे ऊपर, भगवान शिव के राम ! महादेव ने जब अपने तीनों पुत्रों देव, दानव और मानव के बीच एक करोड़ श्लोकों का विभाजन कर दिया और अंत में जब उनके पास मात्र एक श्लोक बचा, जिसमें 32 अक्षर थे l दस-दस अक्षर तो महादेव ने अपने तीनों पुत्रों को दे दिए और बाकी बचे दो अक्षर “रा” और “म” अपने पास रखते हुए उन्होंने कहा – ‘अब सुखपूर्वक रहो मेरे पुत्रों ! अब इन्हीं दो अक्षरों “राम” के सहारे मैं अपना सम्पूर्ण जीवन सुख से व्यतीत करूंगा l

राम के बारे में इतनी बातें करके मैं भी राममय हो गया हूँ l अंत में, सभी को रामनवमी की हार्दिक बधाई l इस पावन अवसर पर यही आशा करता हूँ कि सभी जन भगवान राम द्वारा स्थापित आदर्शों, मर्यादाओं और नैतिकता को अपने अंतः में ले जाएँ और उनका अनुसरण करें, तभी उनका नाम लेना सार्थक होगा l जय श्री राम, जय श्री राम, जय श्री राम............

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