Saturday 4 September 2021

*कोरोना के साथ डेंगू बुखार से भी करें बचाव**आर.जे. सिद्दीकी मिनर्वा न्यूज़*

*कोरोना के साथ डेंगू बुखार से भी करें बचाव*

*आर.जे. सिद्दीकी मिनर्वा न्यूज़*

इन दिनों कोरोना के साथ साथ,डेंगू भी अपने पांव पसार चुका है।शुरुआत में सामान्य-सा लगनेवाला यह बुखार देरी से या ठीक इलाज न मिलने पर जानलेवा साबित हो सकता है। वक्त पर सही इलाज हो तो हालात कंट्रोल में रहते हैं।
        डेंगू के बारे में सही जानकारी न होने पर लोगो में इसका बहुत ज्यादा खौफ है।खौफ के साथ साथ डेंगू से जुड़ी तरह तरह की भ्रांतियाँ भी हैं ।

आपके लिए डेंगू से जुड़ी कई अहम जानकारी साझा करता हूँ ,ताकि आप कोरोना के साथ साथ डेंगू को भी मात दे सकें ।

◆कैसे और कब होता है डेंगू ?

डेंगू मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसी धारियां होती हैं। ये मच्छर दिन में काटते हैं। डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं।

◆कैसे फैलता है

डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।

◆कब दिखती है बीमारी

काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है।

◆कितने तरह का होता है डेंगू

यह तीन तरह का होता है-
1. क्लासिकल (साधारण) डेंगू बुखार
 2. डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)
           
            इन तीनों में से दूसरे और तीसरे तरह का डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। साधारण डेंगू बुखार अपने आप ठीक हो जाता है और इससे जान जाने का खतरा नहीं होता लेकिन अगर किसी को DHF या DSS है और उसका फौरन इलाज शुरू नहीं किया जाता तो जान जा सकती है। इसलिए यह पहचानना सबसे जरूरी है कि बुखार साधारण डेंगू है, DHF है या DSS है।

◆लक्षण क्या-क्या

साधारण डेंगू बुखार-

●ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार चढ़ना ।
●सिर, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना ।
●आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना, जो आंखों को दबाने या हिलाने से और बढ़ जाता है ।
●बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख न लगना और जी मितलाना और मुंह का स्वाद खराब होना।
●गले में हल्का-सा दर्द होना
●शरीर खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के  रैशेज होना।
●क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार करीब 5 से 7 दिन तक रहता है      और मरीज ठीक हो जाता है। ज्यादातर मामलों में इसी किस्म का  डेंगू बुखार होता है।

  डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF)-

●नाक और मसूढ़ों से खून आना
●शौच या उलटी में खून आना
●स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चिकत्ते पड़ जाना
           
अगर क्लासिकल साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ-साथ ये लक्षण भी दिखाई दें तो हमे ज्यादा सचेत हो जाना चाहिए।ब्लड टेस्ट से इसका पता लग सकता है।

डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS)-

इस बुखार में DHF के लक्षणों के साथ-साथ SHOCK की अवस्था के भी कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। जैसे :
●मरीज बहुत बेचैन हो जाता है और तेज बुखार के बावजूद उसकी स्किन ठंडी महसूस होती है।
●मरीज धीरे-धीरे होश खोने लगता है।
●मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीरे चलने लगती है। 
● ब्लड प्रेशर एकदम कम हो जाता है।

◆कौन-से टेस्ट

अगर तेज बुखार हो, जॉइंट्स में तेज दर्द हो या शरीर पर रैशेज हों तो पहले दिन ही डेंगू का टेस्ट करा लेना चाहिए। अगर लक्षण नहीं हैं, पर तेज बुखार बना रहता है तो भी एक-दो दिन के इंतजार के बाद फिजिशियन के पास जरूर जाएं। शक होने पर डॉक्टर डेंगू की जांच कराए। डेंगू की जांच के लिए शुरुआत में एंटीजन ब्लड टेस्ट (NS 1) किया जाता है। इस टेस्ट में डेंगू शुरू में ज्यादा पॉजिटिव आता है, जबकि बाद में धीरे-धीरे पॉजिविटी कम होने लगती है। अगर तीन-चार दिन के बाद टेस्ट कराते हैं तो एंटीबॉडी टेस्ट (Dengue Serology) कराना बेहतर है। डेंगू की जांच कराते हुए CBC यानी RBC काउंट के साथ वाइट ब्लड सेल्स का टोटल काउंट (TLC)और अलग-अलग काउंट (DLC)करा लेना चाहिए। इस टेस्ट में प्लेटलेट्स की संख्या पता चल जाती है।ये टेस्ट खाली या भरे पेट, कैसे भी कराए जा सकते हैं।

◆प्लेटलेट्स की भूमिका-

आमतौर पर तंदुरुस्त आदमी के शरीर में 1.5 से 3.5 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स बॉडी की ब्लीडिंग रोकने का काम करती हैं। अगर प्लेटलेट्स एक लाख से कम हो जाएं तो उसकी वजह डेंगू हो सकता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि जिसे डेंगू हो, उसकी प्लेटलेट्स नीचे ही जाएं। प्लेटलेट्स अगर एक लाख से कम हैं तो मरीज को फौरन हॉस्पिटल में  जाना चाहिए। अगर प्लेटलेट्स गिरकर 20 हजार तक या उससे नीचे पहुंच जाएं तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। आमतौर पर 40-50 हजार प्लेटलेट्स तक ब्लीडिंग नहीं होती। डेंगू का वायरस आमतौर पर प्लेटलेट्स कम कर देता है, जिससे बॉडी में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। अगर प्लेटलेट्स तेजी से गिर रहे हैं, मसलन सुबह एक लाख थे और दोपहर तक 50-60 हजार हो गए तो शाम तक गिरकर 20 हजार पर पहुंच सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर प्लेटलेट्स का इंतजाम करने लगते हैं ताकि जरूरत पड़ते ही मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाए जा सकें। 

◆बच्चों में खतरा ज्यादा-

बच्चों का इम्युन सिस्टम ज्यादा विकसित नही होता है और वे खुले में ज्यादा रहते हैं इसलिए उनके प्रति सचेत होने की ज्यादा जरूरत है।
ऐसे में बचाव ही इलाज से बेहतर है। पैरंट्स ध्यान दें कि बच्चे घर से बाहर पूरे कपड़े पहनकर जाएं। जहां खेलते हों, वहां आसपास गंदा पानी न जमा हो। स्कूल प्रशासन इस बात का ध्यान रखे कि स्कूलों में मच्छर न पनप पाएं। 
नोट-  बहुत छोटे बच्चे खुलकर बीमारी के बारे में बता भी नहीं पाते इसलिए अगर बच्चा बहुत ज्यादा रो रहा हो, लगातार सोए जा रहा हो, बेचैन हो, उसे तेज बुखार हो, शरीर पर रैशेज हों, उलटी हो या इनमें से कोई भी लक्षण हो तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं। बच्चों को डेंगू हो तो उन्हें अस्पताल में रखकर ही इलाज कराना चाहिए क्योंकि बच्चों में प्लेटलेट्स जल्दी गिरते हैं और उनमें डीहाइड्रेशन (पानी की कमी) भी जल्दी होता है।

◆इलाज-

-अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है।
--डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल ले सकते हैं।
-एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं।
-अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें।
--सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
-मरीज को आराम करने दें।
-मरीज में DSS या DHF का एक भी लक्षण दिखाई दे तो उसे जल्दी-से-जल्दी डॉक्टर के पास ले जाएं। DSS और DHF बुखार में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं, जिससे शरीर के जरूरी हिस्से प्रभावित हो सकते हैं। डेंगू बुखार के हर मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ डेंगू हैमरेजिक और डेंगू शॉक सिंड्रोम बुखार में ही जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स चढ़ाई जाती हैं। अगर सही समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो DSS और DHF का पूरा इलाज मुमकिन है।

◆अपने आप न आजमाएं-

अपनी मर्जी से कोई भी एंटी-बायोटिक या कोई और दवा न लें। अगर बुखार ज्यादा है तो डॉक्टर के पास जाएं और उसकी सलाह से ही दवाई ले।

बुखार में सिर्फ पैरासिटामोल ले सकते हैं। एस्प्रिन बिल्कुल न लें क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं।मामूली खांसी आदि होने पर भी अपने आप कोई दवाई न लें।

झोलाछाप डॉक्टरों के पास न जाएं। अक्सर ऐसे डॉक्टर बिना सोचे-समझे कोई भी दवाई दे देते हैं। Dexamethasone(जेनरिक नाम) का इंजेक्शन और टैब्लेट तो बिल्कुल न लें। अक्सर झोलाछाप मरीजों को इसका इंजेक्शन और टैब्लेट दे देते हैं, जिससे मौत भी हो सकती है।

◆डेंगू से कैसे बचें

डेंगू से बचने के दो ही उपाय हैं।
1. एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना। 
2. एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना।

1.मच्छरों को पैदा होने से रोकने के उपाय
- घर या ऑफिस के आसपास पानी जमा न होने दें, गड्ढों को मिट्टी से भर दें, रुकी हुई नालियों को साफ करें।
- - अगर पानी जमा होेने से रोकना मुमकिन नहीं है तो उसमें पेट्रोल या केरोसिन ऑयल डालें।
- रूम कूलरों, फूलदानों का सारा पानी हफ्ते में एक बार और पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज पूरी तरह से खाली करें, उन्हें सुखाएं और फिर भरें। घर में टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें। अगर रखें तो उलटा करके रखें।
- - डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए पानी की टंकी को अच्छी तरह बंद करके रखें।
- अगर मुमकिन हो तो खिड़कियों और दरवाजों पर महीन जाली लगवाकर मच्छरों को घर में आने से रोकें।
- - मच्छरों को भगाने और मारने के लिए मच्छरनाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि इस्तेमाल करें। गुग्गुल के धुएं से मच्छर भगाना अच्छा देसी उपाय है।
- घर के अंदर सभी जगहों में हफ्ते में एक बार मच्छरनाशक दवा का छिड़काव जरूर करें। यह दवाई फोटो-फ्रेम्स, पर्दों, कैलेंडरों आदि के पीछे और घर के स्टोर-रूम और सभी कोनों में जरूर छिड़कें। दवाई छिड़कते वक्त अपने मुंह और नाक पर कोई कपड़ा जरूर बांधें। साथ ही, खाने-पीने की सभी चीजों को ढककर रखें।

2.मच्छरों के काटने से बचाव-
-ऐसे कपड़े पहने, जिससे शरीर का ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सा ढका रहे। खासकर बच्चों के लिए यह सावधानी बहुत जरूरी है। बच्चों को मलेरिया सीजन में निक्कर व टी-शर्ट न पहनाएं।
--बच्चों को मच्छर भगाने की क्रीम लगाएं।
अगर किसी को डेंगू हो गया है तो उसे मच्छरदानी के अंदर रखें, ताकि मच्छर उसे काटकर दूसरों में बीमारी न फैलाएं।

नोट-ऊपर दी गयी जानकारी सिर्फ डेंगू के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए दी गई है,जिसका उद्देश्य लोगो के भय को कम करना है।

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