Thursday 12 May 2022

बिहार के एक इलेक्ट्रीशियन को चढ़ा प्यार का बुखार महबूबा से मिलने के लिए काट देता था गांव की लाइट।

बिहार के एक इलेक्ट्रीशियन को चढ़ा प्यार का बुखार महबूबा से मिलने के लिए काट देता था गांव की लाइट।


लक्ष्मी गुप्ता एंकर MINERVA NEWS LIVE


पटना, 12 मई: प्यार के किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे, लेकिन आज हम आपको ऐसे आशिक की कहानी बताने जा रहे, जिसके चक्कर में रात-रातभर पूरा गांव परेशान रहने लगा। उन्होंने जब पूरा मजरा समझा तो उनके होश उड़ गए।

साथ ही छोटे से गांव की लव स्टोरी नेशनल न्यूज बन गई।

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के पूर्णिया जिले के गणेशपुर गांव में एक इलेक्ट्रीशियन अपनी प्रेमिका से मिलने के चक्कर में रात को लाइट काट देता था। शुरू में लोगों ने इसे सामान्य प्रक्रिया समझी, लेकिन कई दिनों तक ऐसे होने पर ग्रामीण पड़ताल में जुट गए। जिस पर पता चला कि आसपास के गांवों में लाइट तो रहती है, लेकिन उनके गांव में शाम को दो-तीन घंटे के लिए लाइट कट जाती है।

कुछ दिनों बाद गणेशपुर के ग्रामीणों को ये भी पता चला कि इलेक्ट्रीशियन इश्क लड़ाने के लिए लाइट काटता है, ऐसे में उन्होंने उसे रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई। हाल ही में जब गांव की लाइट कटी तो सभी ग्रामीण इलेक्ट्रीशियन की तलाश में जुट गए। कुछ देर बाद वो प्राइमरी स्कूल में अपनी प्रेमिका के साथ पकड़ा गया।

ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर उन्होंने उसे पकड़कर उसका मुंडन करवा दिया और फिर गांव में घुमाया। बाद में उसने स्वीकार किया कि जब वो अपनी प्रेमिका से मिलना चाहता तो वो लाइट काट देता, ताकि अंधेरे में वो रोमांस कर सके। बाद में सरपंच और ग्रामीणों की मौजूदगी में उसकी शादी उसी लड़की से करवा दी गई।

स्थानीय थाना प्रभारी विकास कुमार आजाद ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी थी लेकिन अभी तक मामले में किसी ने शिकायत दर्ज नहीं करवाई है। मामले में एक ग्रामीण ने कहा कि वो बिजली कटौती से परेशान हो गए थे। गर्मी के दिनों में भी शाम को तीन-चार घंटे लाइट गायब रहती, जब से इलेक्ट्रीशियन की शादी हुई है, तब से शाम को बत्ती गुल होनी बंद हो गई।

योगी सरकार का बड़ा फैसला अब मदरसों में भी होगा राष्ट्रगान।

योगी सरकार का बड़ा फैसला अब मदरसों में भी होगा राष्ट्रगान


प्रगति बाजपई एंकर MINERVA NEWS LIVE


उत्तर प्रदेश के मदरसों में आज से राज्य की योगी सरकार का बड़ा फैसला लागू होने जा रहा है.

क्योंकि अब मदरसों में पढ़ाई शुरू होने से पहले राष्ट्रगान होगा. राज्य के सभी मान्यता प्राप्त सहायता और गैर अनुदानित मदरसों में राष्ट्रगान गाया जाएगा. असल में ईद की छुट्टियों के कारण आज से मदरसे खुल रहे हैं और आज से ही मदरसों में राष्ट्रगान गाया जाएगा. इसके लिए 24 मार्च को हुई बैठक में सभी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को इसे तुरंत लागू करने के लिए कहा गया था. लेकिन रमजान की छुट्टी शुरू होने के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के मदरसा शिक्षा परिषद की ओर से इसको लेकर निर्देश पहले ही भेजे जा चुके हैं. जिसके तहत मान्यता प्राप्त, अनुदानित प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त मदरसों में नए सत्र से राष्ट्रगान गाने का आदेश दिया गया था. फिलहाल मदरसा बोर्ड की बैठक मार्च में हुई थी और इस बैठक में अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने कई फैसले लिए थे. जिसमें मदरसों में राष्ट्रगान गाने को लेकर भी फैसला किया गया था. इसके साथ ही बैठक में मुंशी, मौलवी, आलिम, कामिल और फाजिल की परीक्षाएं 14 से 27 मई तक कराने का फैसला किया गया था.

मदरसों में ही होंगी परीक्षाएं

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में गर्मी की छुट्टी और यूपी बोर्ड परीक्षा की कॉपियों के मूल्यांकन का कार्य जारी है. जिसके कारण कॉलेज खाली नहीं हैं. लिहाजा मदरसा बोर्ड ने परीक्षाओं को मदरसों में ही आयोजित कराने का फैसला किया था.

छह पेपर की होगी परीक्षा

इसके अलावा मदरसा बोर्ड में अब छह पेपर की परीक्षा होगी. इसमें कक्षा 1 से 8 के पाठ्यक्रम में दीनियात के अलावा हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के प्रश्न पत्र होंगे. पिछले दिनों हुई मदरसा बोर्ड की बैठक में इस बात का भी फैसला हुआ था कि शिक्षकों की उपस्थिति के लिए हर मदरसे में बायोमीट्रिक सिस्टम लगाया जाएगा और नए सत्र से छात्रों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी शुरू की जाएगी.

टीईटी के तर्ज होगी मदरसों में अध्यापकों की नियुक्ति

यूपी मदरसा बोर्ड ने बैठक के माध्यम से टीईटी की तर्ज पर मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति करने का फैसला किया है और इसके लिए पहले परीक्षा देनी होगी और उसमें उत्तीर्ण होने वाले को मदरसों में नियुक्ति दी जाएगी. इसके साथ ही मदरसा बोर्ड ने फैसला किया था कि मदरसों में छात्रों की संख्या कम होने पर अन्य मदरसों में शिक्षकों का समायोजन किया जाएगा.

पीलीभीत में सच्ची घटना पर बनी पंकज त्रिपाठी की नई फिल्म शेरदिल : द पीलीभीत सागा आइये जानते हैं क्या है खास इस मूवी में।

पीलीभीत में सच्ची घटना पर बनी पंकज त्रिपाठी की नई फिल्म शेरदिल : द पीलीभीत सागा आइये जानते हैं क्या है खास इस मूवी में।


प्रीति तिवारी सह संपादक MINERVA NEWS LIVE



आदमी, जंगल और जानवर तीनों की ज़मीन एक ही है और सीमित है। 
फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' की कहानी पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे गांवों में दुखद घटनाओं की वास्तविक घटना से प्रेरित है, कि कैसे परिवार को बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता होती है
बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकार अभिनेता पंकज त्रिपाठी जल्दी ही अपनी नई फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' के साथ दर्शकों का मनोरंजन करने को तैयार हैं। इस फिल्म का निर्माण टी-सीरीज और रिलायंस एंटरटेनमेंट ने मैच कट प्रोडक्शन के साथ मिलकर बनाया है। इस फिल्म के सेट से तस्वीरें भी सामने आ चुकी है और मेकर्स की तरफ से फिल्म की रिलीज का ऐलान भी कर दिया गया है।
पंकज त्रिपाठी की डार्क ह्यूमर से भरपूर यह फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निदेशक, श्रीजीत मुखर्जी द्वारा निर्देशित किया गया है। वास्तविक घटनाओं से प्रेरित इस गाथा में पंकज त्रिपाठी के अलावा नीरज काबी और सयानी गुप्ता भी अहम भूमिकाओं में हैं।
'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' फिल्म में शहरीकरण के प्रतिकूल प्रभावों, मानव-पशु संघर्ष और गरीबी के बारे में एक अंतर्दृष्टि पूर्ण कहानी सामने रखी जाएगी, जो जंगल के किनारे बसे एक गांव की लोगों के बारे में है। फिल्म की तस्वीरों में पंकज त्रिपाठी साधारण व्यक्ति की वेशभूषा में जंगलों में दिखाई दे रहे हैं। यह फिल्म श्रीजीत मुखर्जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
फिल्म 'शेरदिल: द पीलीभीत सागा' की कहानी पीलीभीत टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे गांवों में दुखद घटनाओं की वास्तविक घटना से प्रेरित है, कि कैसे परिवार को बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए बहुत साहस की आवश्यकता होती है और श्रीजीत मुखर्जी की यह फिल्म वीरता के इर्द-गिर्द घूमती है, जो मनुष्य और प्रकृति के संघर्ष पर केंद्रित है। यह फिल्म 24 जून, 2022 को बड़े पर्दे पर दस्तक देगी।

ताजमहल मामले में हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

ताजमहल मामले में हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी


प्रिंस गुप्ता प्रदेश कोऑर्डिनेटर उत्तर प्रदेश

ताजमहल के 22 कमरों को खोलने की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने याचिका कर्ता पर फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि पहले PhD करें फिर कोर्ट आएं. 


Wednesday 11 May 2022

ताजमहल नहीं है कोई मकबरा 1983 मैं रुड़की विश्वविद्यालय के सर्वे में कुछ तथ्य सामने आए क्या है वे तथ्य जानते हैं।

ताजमहल नहीं है कोई मकबरा 1983 मैं रुड़की विश्वविद्यालय के सर्वे में कुछ तथ्य सामने आए क्या है वे तथ्य जानते हैं।

प्रिंस गुप्ता प्रदेश कोऑर्डिनेटर उत्तर प्रदेश

ताजमहल के तहखाने में बने 20 कमरों को खोलने की याचिका पर हाईकोर्ट में बृहस्पतिवार को सुनवाई होनी है, लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और देश के नामी गिरामी संस्थानों के लिए तहखाना कई बार खुला है।
ताजमहल की मजबूती परखने के लिए समय-समय पर तहखाने में जाकर इसका सर्वे किया गया है। एएसआई ने 16 साल पहले तहखाने का संरक्षण कराया था, लेकिन इसकी मजबूती परखने के लिए नेशनल जियोग्राफिक रिसर्च इंस्टीट्यूट और रुड़की विश्वविद्यालय ने वर्ष 1993 में सर्वे कराया था, जिसमें ताजमहल के तहखाने की दीवार तीन मीटर मोटी बताई गई और मुख्य गुंबद पर असली कब्रों के नीचे का हिस्सा ठोस बताया गया। रुड़की विश्वविद्यालय ने इस सर्वे में इलेक्ट्रिकल, मैग्नेटिक प्रोफाइलिंग तकनीक, शीयर वेब स्टडी और ग्रेविटी एंड जियो रडार तकनीक का उपयोग किया था।
ताजमहल पर भूकंप के प्रभाव के लिए रुड़की विश्वविद्यालय के अर्थक्वेक इंजीनियरिंग विभाग ने 1993 में सर्वे कराया। प्रोजेक्ट नंबर पी-553 ए की रिपोर्ट जुलाई 1993 में जारी की गई। भविष्य के भूकंप की स्थिति में ताजमहल को नुकसान होने की स्थिति के लिए यह सर्वे किया गया था। इसके लिए ताजमहल के तहखानों को खोला गया था, जिसमें गुंबद, मीनारों, तहखानों की दीवारों की मजबूती को जांचा गया।
13 मीटर गहरी हैं ताज और महताब बाग की नींव
नेशनल जियोग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने महताब बाग और ताजमहल का एक साथ सर्वे किया, जिसमें मेग्नेटिक प्रोफाइलिंग तकनीक के इस्तेमाल से पता चला कि ताजमहल और महताब बाग के जो हिस्से जानकारी में है, उनके अलावा नींव में कोई स्ट्रक्चर नहीं पाया गया। फाउंडेशन के कुंओं पर बोर होल ड्रिल 9.50 मीटर गहराई तक किए गए। रिफ्लेक्शन सीस्मिक जांच में ताजमहल की नींव में 90 मीटर तक सख्त चट्टानें पाई गईं।
ताजमहल और महताब बाग की नींव की गहराई नदी किनारे 13 मीटर तक पाई गई। चमेली फर्श के नीचे के कमरों पर नदी किनारे की ओर तीन मीटर तक चौड़ी दीवारें मिलीं। सर्वे में बताया गया कि मुख्य गुंबद में असली कब्रों के नीचे का हिस्सा खाली नहीं है। शीयर वेव स्टडी में यह ठोस होने की जानकारी देता है।
केवल स्टडी के लिए खोले जाएं तहखाने : केके मुहम्मद
पदमश्री से सम्मानित और आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद रहे केके मुहम्मद ने अमर उजाला से अपने अनुभव साझा किए। केरल में रह रहे केके मुहम्मद ने कहा कि ताजमहल के तहखाने हमेशा से खुले हैं, केवल पर्यटकों के लिए ये बंद हैं। एएसआई उनकी देखभाल और संरक्षण अच्छे ढंग से कर रहा है। ताजमहल विश्व धरोहर है। कोई भी विवाद इसे नुकसान पहुंचाएगा। वह कई बार तहखाने में संरक्षण कार्यों के लिए गए हैं, पर उन्होंने कोई धार्मिक प्रतीक चिह्न नहीं देखा। रामबाग और एत्माद्दौला जैसे यमुना नदी किनारे बने स्मारकों में ठीक ऐसे ही तहखाने बने हैं, जिनके ऊपर स्मारक बने हुए हैं। धार्मिक रंग देने की जगह तहखाने को केवल स्टडी के लिए खोला जाए। विशेष अनुमति लेकर रिसर्च स्कॉलर को जाने दिया जाए।
कोर्ट की निगरानी में खोलकर वीडियोग्राफी की जाए : प्रो. नदीम रिजवी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर नदीम रिजवी ने ताजमहल को धार्मिक रंग दिए जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि 300 साल तक ताजमहल के तहखाने और बाकी हिस्से खुले रहे। कई पीढ़ियों ने इसे देख लिया। कोई चिह्न यहां नहीं है। ताज के जो हिस्से बंद किए, वह धार्मिक कारणों से नहीं किये गए, बल्कि ताज में भीड़ और सुरक्षा कारणों से किए गए। स्मारक की संरक्षा और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए एएसआई ने पूरे देश में स्मारकों के कुछ हिस्सों को बंद किया। प्रो. रिजवी ने कहा कि ताज के तहखाने खोलने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन यह कोर्ट की निगरानी में खोले जाएं और वीडियोग्राफी की जाए। तहखाने खोलने के बाद यह डर है कि कहीं कोई मूर्ति न रख दे और विवाद स्थायी हो जाए।

पत्नी ने बाथरूम में तो पति ने कमरे में लगाई फांसी आखिर क्यों।

पत्नी ने बाथरूम में तो पति ने कमरे में लगाई फांसी आखिर क्यों।

उत्कर्ष शुक्ला संस्थापक / संपादक

सागर/ गढ़ाकोटा:- चार-पांच माह पहले क्षेत्र में मोमोस का ठेला लगाने के लिए आए दंपती ने फांसी लगाकर जान दे दी। दोनों के शव अलग-अलग निर्वस्त्र अवस्था में लटके हुए मिले।
दो साल के बच्चे के रोने पर पड़ोसियों को पता चला और उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी।

जानकारी अनुसार नेपाल से केशर 26 वर्ष व उसकी पत्नी पशुपति 24 वर्ष चार-पांच माह पहले गढ़ाकोटा आए थे। यह मोमोस बनाने का काम करते थे और बस स्टैंड पर ठेला भी लगाते थे। बुधवार की सुबह रामवार्ड में इनके घर से दो साल के बच्चे के रोने की आवाज आई। लगातार रोते रहने पर पड़ोसियों ने आवाज लगाई, लेकिन घर के अंदर से कोई बाहर नहीं आया। तब पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने दरवाजा खोला तो कमरे में पति केशर तथा बाथरूम के अंदर पत्नी पशुपति फांसी पर लटके हुए थे। दोनों निर्वस्त्र थे। पुलिस ने जांच उपरांत शवों को फंदे से उतारा और पोस्टमार्टम के लिए ले गए। थाना प्रभारी रजनीकांत दुबे का कहना है कि दोनों के शव फंदे पर लटके मिले हैं। इन्होंने स्वयं फांसी लगाई है या कुछ और कारण है, पुलिस इसकी जांच कर रही है। फिलहाल पुलिस ने मर्ग कायम कर मामला जांच में ले लिया है।

अवैध शराब के परिवहन पर कार राजसात

सागर। जिला दण्डाधिकारी दीपक आर्य ने अवैध शराब के परिवहन करने पर एक फोर्ड आइकान कार के राजसात की कार्रवाई की है। उन्होंने यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक के प्रस्ताव पर की है। 26 अप्रैल 2021 को थाना बहेरिया अंतर्गत झण्डा बाबा रोड केरवना के पास फोर्ड आइकान कार क्रमांक एमपी 04 सीई 4182 से चैकिंग के दौरान 90 हजार रूपये कीमत की 162 बल्क लीटर लाल मसाला अवैध शराब पाई गई थी। वाहन में अवैध शराब का परिवहन पाये जाने पर शराब व वाहन की विधिवत जप्ती की कार्रवाई की गई थी। जिला दण्डाधिकारी ने थाना प्रभारी बहेरिया से कहा है कि वे उक्त जप्तशुदा वाहन को कलेक्टर कार्यालय सागर के जिला नाजिर को सौंपे व प्रभारी अधिकारी जिला नजारात को आदेशित किया कि वाहन को प्राप्त कर नियमानुसार आम नीलामी द्वारा विक्रय कर प्राप्त राशि को शासकीय कोष में जमा करें।

बनारस की गंगा घाट के किनारे स्थित मस्जिद ज्ञानवापी के नाम पर है पर दावा है कि यह मस्जिद नहीं मंदिर है। सच जानने के लिए पूरा पढ़े लिंक को खोल कर।

बनारस की गंगा घाट के किनारे स्थित मस्जिद ज्ञानवापी के नाम पर है पर दावा है कि यह मस्जिद नहीं मंदिर है।

सच जानने के लिए पूरा पढ़े लिंक को खोल कर

प्रिंस गुप्ता प्रदेश कोऑर्डिनेटर उत्तर प्रदेश
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के सर्वे के दौरान वीडियोग्राफी करने वाले विभाष दूबे ने कई दावे किए हैं. अब उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का नाम भी इस ओर इशारा करता है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई होगी क्योंकि किसी मस्जिद का नाम ज्ञानवापी नहीं हो सकता.
वहीं इतिहासकार प्रोफेसर चतुर्वेदी कहते हैं कि मस्जिद निर्माण का कोई दस्तावेजी प्रमाण नहीं है और मस्जिद का नाम ज्ञानवापी हो भी नहीं सकता. ऐसा लगता है कि ज्ञानवापी कोई ज्ञान की पाठशाला रही होगी. पाठशाला के साथ मंदिर भी रहा होगा जो प्राचीन गुरुकुल परंपराओं में हमेशा हुआ करता था. उस मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनी तो उसका नाम ज्ञानवापी पड़ गया. ऐसा माना जा सकता है.

करीब 31 साल से कोर्ट में चल रहा है केस

1991 में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सिविल कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में कहा गया था कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दी. इतने साल बाद मार्च में कोर्ट ने सर्वे करने का फैसला दिया गया. काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशजों ने कोर्ट में याचिका दायर की है. उनके वकील विजय शंकर रस्तोत्री ने आजतक को सबूत के तौर पर नक्शा भी दिखाया.

ASI से पूछा गया कि क्या मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाया गया ? अगर मंदिर था तो किसका था ? कितने साल पुराना है ? क्या पहले भी कोई यहां ढांचा था ? 2 महीने में सर्वे करने का आदेश दिया, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. ये मामला अभी लंबित है.

हालिया सर्वे एक अन्य मामले में कराया गया

18 अगस्त 2021 में वाराणसी की एक अदालत में 5 महिलाओं ने याचिका दायर कर कहा था कि इस मस्जिद परिसर में श्रृंगार गौरी की मूर्ति है, यहां मंदिर बना है. हम उनकी रोज पूजा करना चाहते हैं, इसका अधिकार दिया जाए. इसके बाद कोर्ट ने सर्वे कराने का आदेश दिया था.

लेकिन डेढ़ दिन बाद ही रोकना पड़ा सर्वे

6 मई से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे शुरू हुआ, लेकिन डेढ़ दिन बाद ही मुस्लिम पक्ष ने सर्वे के लिए अदालत की तरफ से नियुक्त किए गए कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठा दिए. खूब हंगामा हुआ और सर्वे को रोकना पड़ा. उनके खिलाफ 7 मई को प्रतिवादी अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी कोर्ट पहुंच गई और उन्हें बदलने की मांग कर दी.

पूरी ईमानदारी से किया काम: एडवोकेट कमिश्नर

सर्वे के लिए कोर्ट की ओर से नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने आजतक से बताया कि उन्होंने पूरी ईमानदारी, निष्पक्षता और निष्ठा से अपना काम किया है. आपत्तियां आती रहती हैं जिसका निस्तारण करना कोर्ट का काम है. मैंने सारा आदेश सही से मना है. ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिससे आदेश का उल्लंघन हो. आदेश जो भी होगा हम उसका पालन करेंगे.

अध्यक्ष अब्बास नकवी,महामंत्री आकाश सैनी और कोषाध्यक्ष देवरंजन मिश्रा हुए निर्वाचितचुनाव अधिकारी ने दिए प्रमाण पत्रप्रेस क्लब की हुई बैठक

अध्यक्ष अब्बास नकवी,महामंत्री आकाश सैनी और कोषाध्यक्ष देवरंजन मिश्रा हुए निर्वाचित चुनाव अधिकारी ने दिए प्रमाण पत्र प्रेस क्लब की हुई बैठक ...